श्लोक: मातृभूमि की स्तुति

रत्नाकरधौतापiदIम् हिमालयकिरीतिनिIम ब्रह्मराजश्रीरत्नध्याम वन्दे भरतमातरम्

उपरोक्त श्लोक का अर्थ इस प्रकार है: शक्तिशाली महासागर आपके चरण धोते हैं। हिमालय पर्वत आपको ताज की तरह सुशोभित करते हैं। अनेक सन्त और राज-मुनि भारत के रत्‍न के समान हैं। आपको मेरा नमस्कार।

यह हमारी मातृभूमि की स्तुति में एक और संस्कृत श्लोक है। संस्कृत भाषा एक बहुत ही बहुमुखी भाषा है जिसमें कोई भी अर्थ और काव्य से भरे श्लोकों की रचना कर सकता है। यह एक सुंदर काव्यात्मक भाषा में दक्षिण में महासागरों से घिरी भूमि और उत्तर की ओर हिमालय के भूगोल की प्रशंसा करने वाला एक श्लोक है।